ब्रिटेन ने 6 देशों को महारानी के अंतिम संस्कार में जानें पर प्रतिबंध लगाया, भारतीय राष्ट्रपति यूके के लिए निकल चुकी

Queen Elizabeth-II Funeralयूके ने अपनी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दुनिया भर के देशों को निमंत्रण पत्र भेजा था। लेकिन इस सूची में 6 देशों को 19 सितंबर को महारानी के राजकीय अंतिम संस्कार शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा। बल्कि सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं।
ब्रिटेन ने इन कुल 6 देशों के अतिरिक्त उन देशों को महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए निमंत्रण पत्र नहीं भेजा, जिनका ब्रिटेन से कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं।

अंतिम संस्कार की ऐतिहासिक परम्परा

महारानी या महाराज की मृत्यु के अंतिम संस्कार की ऐतिहासिक परम्परा 300 से अधिक वर्षों में वेस्टमिंस्टर एब्बे में आयोजित होने वाली होती है। अब इस योजना ने विस्तृत रूप ले लिया।
महारानी के अंतिम संस्कार की योजना 1960 के दशक में तैयार की गई थी, जिसमें दिवंगत सम्राट कथित तौर पर भारी रूप से शामिल थे।

पूर्व ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में अमेरिकी राष्ट्रपति जोए बाइडेन से लेकर भारतीय राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी शामिल होने के लिए यूके निकल चुकी हैं।

किंतू रानी के अंतिम संस्कार में रूस, सीरिया, अफगानिस्तान, बेलारूस, म्यांमार और वेनेजुएला के प्रतिनिधि मौजूद नहीं होंगे।

सीरिया, म्यामांर अफगानिस्तान या वेनेजुएला

ब्रिटेन के सीरिया, अफ़ग़ानिस्तान या वेनेजुएला के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं, यही वजह है कि एक साल पहले तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में कोई मान्यता प्राप्त सरकार नहीं है कि जिससे अफ़ग़ानिस्तान के प्रतिनिधि को आमंत्रित नहीं किया जा सकता है।

म्यांमार में लोकतान्त्रिक सरकार को हटाकर सेना ने सैनिक शासन लगा दिया, यही कारण है कि ब्रिटेन ने 6 देशों में से एक म्यांमार को महारानी के अंतिम संस्कार की सूची से बाहर रखा।

इस बीच एक ओर तीन देशों – ईरान, उत्तर कोरिया और निकारागुआ – को महज़ राजदूत स्तर पर आमंत्रित किया गया है।

रूस

यूके ने महारानी के अंतिम संस्कार में रूस को भी निमंत्रण पत्र नहीं भेजा है, जिसका कारण यूक्रेन युद्ध है, क्योंकि इस युद्ध में ब्रिटेन यूक्रेन का सबसे बड़ा समर्थक है। जो यूक्रेन को वित्तीय सहायता, सहायता और हथियार प्रदान कर रहा है।
इस विषय पर रूस का कहना है कि व्लादिमीर पुतिन और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को रानी के अंतिम संस्कार में आमंत्रित नहीं करने का निर्णय “बेहद अनैतिक” और “निन्दा जनक” है।
जिस पर रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने माना कि यूके महारानी के अंतिम संस्कार को “भू-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय त्रासदी का उपयोग करने का प्रयास” कर रहा है।

क्वीन के अंतिम संस्कार एक चुनौती है, इसको लेकर पिछले कुछ दिनों में 3 बजे अभ्यास चल रहा है ताकि महत्वपूर्ण दिन की तैयारी की जा सके।

न्यूजीलैंड की प्रधान मंत्री जैसिंडा अर्डर्न अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ लगभग 24 घंटे की यात्रा करेंगी, इसी तरह ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीज महारानी के अंतिम संस्कार में पहुंच रहें हैं।

कनाडा के जस्टिन ट्रूडो ने भी फ्रांस के इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मनी के फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर के साथ अपनी उपस्थिति की पुष्टि की है।

इटली के सर्जियो मटेरेला, तुर्की के रेसेप तईप एर्दोगन और ब्राजील के जायर बोल्सोनारो यूरोपीय आयोग के उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ भाग लेने वाले राष्ट्रपतियों में शामिल हैं।

इसके अलावा स्पेन के राजा फेलिप और उनकी पत्नी, रानी लेटिज़िया, यूरोपीय राजघरानों में गणमान्य लोग शामिल होंगे।

जापानी सरकार ने भी पुष्टि की कि सम्राट नारुहितो और महारानी मासाको अंतिम संस्कार के लिए यूके की यात्रा करेंगे।

यह कदम जापानी नेता और रानी के बीच सम्मान का एक बड़ा प्रतीक है, क्योंकि देश के सम्राट पारंपरिक रूप से धार्मिक कारणों से अंतिम संस्कार से दूर रहते हैं।

राष्ट्रमंडल देशों से प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति या एक उच्चायुक्त पहुंच रहा हैं। इन देशों के प्रमुखों को 10 आम नागरिकों को लाने की भी अनुमति है – जिन्हें आमतौर पर ‘अपने समुदायों में असाधारण योगदान’ के लिए चुना जाता है