Kabul Suicide Bomb Blasts: अफ़ग़ानिस्तान, भारत का एक पड़ोसी देश, जहां तालिबान ने पूर्व लोकतान्त्रिक सरकार को हटाकर 15 अगस्त 2021 को कट्टरपंथी इस्लामी सरकार की नींव रखी थी।

दुनिया मानकर बैठी थी कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शांति और स्थिरता प्रदान करेगा। वो पहले वाला तालिबान नहीं है। हालाकि तालिबान के तात्कालिक निर्णय चिंता में डालने वाले हैं। चाहें वो महिला अधिकारों की बात हो या लड़कियों की पढ़ाई से संबंधित मामला हो। हर जगह तालिबान महिलाओं पर बेरहम बनता जा रहा।
अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के बाद, सबसे अधिक पीढ़ित अगर कोई है। तो वे अफ़गान शिया मुस्लिम हैं, जिनका तालिबान शासन आने के बाद, ऐसा लग रहा है कि उनके नरसंहार की पटकथा लिखी जा चुकी हो। जिसकी गवाही एक ताज़ा अफ़गान शिया मुस्लिम आबादी पर हमले एक रूप में प्रकट होती है।
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काबुल में 46 लड़कियों सहित 53 की हत्याएं
अफ़ग़ानिस्तान, एक बार फिर धर्म के चोले से लहूलुहान कर दिया गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के पश्चिमी काबुल (West Kabul) में शाहिद माजरी रोड पर एक स्कूल में बड़ा आत्मघाती बम धमाका हुआ है। जिसमें मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 53 लोगों की मौतें हुईं हैं।

तालिबान और 45 लड़कियों और महिलाओं की बेदर्द हत्याएं
प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी एएफपी ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के हवाले से लिखा कि काबुल के एक स्कूल में इस्लामिक आत्मघाती हमलावर ने स्वमं को बॉम्ब ब्लास्ट से उड़ा लिया। शिया समुदाय पर यह हमला 30 सितंबर,2022 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक शैक्षणिक संस्थान में हुआ है। शुरूआती मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि इस्लामिक आत्मघाती हमले में कुल 19 लोग मारे गए थे। किंतू अब एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान में हुए आत्मघाती हमले में 53 लोगों की मौतें हुईं हैं। इसमें सबसे दर्दनाक मौतें 46 लड़कियों की हुईं हैं। इस हमले में करीब 110 लोग घायल हुए हैं। इन घायलों में भी किसी को पूर्ण अपंगता और टूट फूट से गुजरना पड़ सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तालिबानी प्रवक्ता ने काबुल आत्मघाती हमले के बारे में बताया कि अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी के पश्चिमी काबुल में हमला एक शिया समुदाय के इलाके में हुआ है। आत्मघाती विस्फोट काबुल शहर के पश्चिम में स्थित एक दश्त-ए-बारची इलाके में काज एजुकेशन सेंटर में हुआ है। इस्लामिक आतंकवादियों ने यह हमला तब किया जब कक्षा पूरी तरह से भरा हुआ था, जिससे बॉम्ब ब्लास्ट होते ही लोगो के शवों के चिथड़े उड़ गए।
अफ़गान पुलिस द्वारा बताया गया कि कोचिंग सेंटर में हाई स्कूल के ग्रेजुएशन की तैयारी हो रही थी, इनमें सबसे अधिक छात्र और छात्राएं शामिल थे। इसमें तब हमला हुआ, जब छात्राएं विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा की प्रैक्टिस कर रहीं थीं।
यह हमला दिखाता है कि इस्लामिक आतंकियों के लिए मानवता की कोई वैल्यू नहीं है, उनके के लिए मज़हब ही सब कुछ है। जिनके लिए शिया और गैर मुस्लिम लोगों की हत्याएं आम बातें हैं। तभी तो 46 लड़कियों की मौतें एक हुईं हैं।