ईरान सहसा अमीनी हिजाब क्रान्ति में जल रहा, इस्लामिक सरकार के खिलाफ़ क्रांति के आसार

इन दिनों ईरान में हिजाब विवाद में जल रहा है, हिजाब विवाद पूरे ईरान में एक हिंसक आंदोलन में बदल चुका है। ईरान के 50 से अधिक शहरों में हिजाब विरोधी आंदोलनों से झुलस रहे हैं। ईरानी में महिलाओं के लिए सख़्त ड्रेस कोड है, जिसको सभी ईरानी महिलाओं को फॉलो करना पड़ता है।

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ईरान का हिजाब कानून क्या है?

ईरान में इस्लामी क्रांति (1978-79) के बाद, ईरान ने 1981 में एक अनिवार्य हिजाब कानून पारित किया। इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 638 के अनुसार, ” महिलाओं के लिए बिना हिजाब के सार्वजनिक रूप से या सड़कों पर दिखाई देना अपराध है।”

महसा अमिनी विरोध

ईरान की महिलाएं इसी क्रूर हिजाब कानून का विरोध करती रहीं हैं। इस विरोध की आग में घी का काम महसा अमीनी की हत्या ने की। वैसे तो ईरान में काफ़ी वर्षों से कई विरोध और आन्दोलन हुए हैं, इसमें महसा अमिनी विरोध ईरान में चल रहे विरोध और नागरिक अशांति की एक श्रृंखला से। जुड़ाव रखता है, महसा अमीनी विरोध प्रदर्शन, जो 16 सितंबर 2022 को महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुए, जिनकी मृत्यु पुलिस हिरासत में हो गई थी। जिनकी मौत ईरान की  नैतिकता पुलिस द्वारा पिटाई से हुई थी।  ईरान की नैतिकता पुलिस ने सहसा अमीनी को “हिजाब कानून उल्लंघन”  से संबंधित आरोप में गिरफ्तार किया था।

ईरानी महिलाओं के सपोर्ट में दुनिया भर की महिलाएं आ रही हैं, जो अपने अपने तरीके से ईरानी महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखा रही हैं।

ईरान की मॉरल पोलिसिंग द्वारा सहसा की हत्या

सहसा अमीनी को इतनी बुरी तरह पीटा गया था कि उनके सिर पर गहरे जख्म हो गए थे। इसी से उनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई। सहसा अमीनी की मौत से आम ईरानी पब्लिक का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा। ईरानी महिलाओं के साथ साथ ईरानी पुरुष भी हिजाब विरोधी आंदोलन में कूद पड़े हैं। लोग ईरान की मॉरल पोलिसिंग के अधिकारियों को दौड़ा दौड़ा कर पीट रहे हैं।

ईरानी लोग इस्लामिक सरकार पर गुस्सा क्यों?

ईरानी लोगों का अपनी ही सरकार पर गुस्से के कई कारण हैं, जिनमें हिजाब विवाद, अर्थव्यस्था और ईरानी समाज में बढ़ती गरीबी है।

हिजाब विवाद की शुरुआत

ईरान, जो इस्लामिक क्रान्ति से पूर्व यूरोपियन कल्चर के हिसाब से रहता था, जहां महिलाओं को सभी प्रकार के कपड़े पहनने की खुली आज़ादी थी। यहां तक ईरान महिलाएं बिकनी भी पहन करती थी। पुरूष और महिलाओं को बराबरी का पूरा अधिकार प्राप्त था। लेकिन इस्लामिक सरकार आने के बाद महिलाओं के लिए ईरान एक नर्क सा बन गया। जहां ईरान की मॉरल पोलिसिंग ने महिलाओं को पकड़ कर जेल में डालना शुरू कर दिया। महिलाओं को हिजाब कानून के उल्लंघन पर 10 बर्ष तक की सज़ा सुनाई जाती थी।

ईरान के महिला और पुरुष खुले विचारों वाले लोग हैं। उनका मानना है कि जो कुछ भी पहनना चाहता हो। उसको पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए।

ईरानी की डूबती अर्थव्यस्था

ईरान के लोग इस्लामिक क्रान्ति के समय वैभव पूर्ण जिंदगी जीते थे, लेकिन इस्लामिक सरकार के समय लोगों को भूखा रहना पड़ रहा है। सरकार की परमाणु बॉम्ब बनाने की ज़िद ने देश की अर्थव्यस्था को तबाह कर दिया। अमेरिका ने ईरान पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, जिसमें ईरानी तेल पर प्रतिबंध भी शामिल हैं। ईरानी लोग दिनों दिन गरीब होते जा रहे हैं। यही कारण है कि ईरानी सरकार के खिलाफ़ लोगों का गुस्सा एक बढ़ता ही जा रहा।

इन विरोध प्रदर्शन के उल्ट ईरानी सरकार प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार कर रही, लोगों पर ईरानी पुलिस गोली चला रही।

50 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत

सहसा अमीनी की मौत से उपजे विरोध प्रदर्शन में अब तक ईरानी पुलिस की गोली बारी में 50 से अधिक ईरानी लोगों की मौत हो चुकी है।

ईरान में एक नई क्रांति के आसार

ईरान में प्रदर्शनकारियों को अब ईरान के स्टार फुटबॉलरो का भी साथ मिल रहा है। ईरान के पूर्व फुटबॉलर अली करीमी ने अपनी आर्मी से निवेदन किया है कि देश को आपकी जरूरत है और आप अपने हाथ बेगुनाह लोगों के खून से मत रगना।

ईरान में आन्दोलनो की आग दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। जिसका शिकार ईरान की इस्लामिक सरकार हो सकती है। जिससे ईरान में नई क्रान्ति के आसार नजर आ रहे हैं।  क्योंकि लोग इस्लामिक सरकार में एक एक पैसों के लिए तड़प रहे हैं।

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