Beijing: चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी ने एक बार पुनः शी जिनपिंग को अपना राष्ट्रपति चुन लिया है, शी जिनपिंग एक ऐसे राष्ट्रपति बने हैं, जो कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओ त्से तुंग (Mao Zedong ) के बाद शी जिनपिंग को तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुना गया। इसके अलावा वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के तीसरी बार महासचिव (General Secretary) भी चुने गए। इसी के साथ वह चीन के अंतिम सर्वोच्च शक्ती बन गए हैं अर्थात वे कुछ भी करें। उनके किसी भी कार्य पर कोई सवाल उठाने वाला नहीं होगा।

शी जिनपिंग ने सबसे बड़ी बाधा को पार किया
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति चीन का राष्ट्रपति 2 बार ही रह सकता है और उसको 68 वर्ष की आयु पार करने के बाद आधिकारिक सेवानिवृत्ति लेनी पड़ती है। लेकिन यहां शी जिनपिंग ने 22 अक्टूबर को 68 वर्ष की आधिकारिक सेवानिवृत्ति की आयु पार ही बदल दिया और एक बार पुनः एक दशक का कार्यकाल पूरा करने के बावजूद पांच साल में एक बार कांग्रेस द्वारा पार्टी की शक्तिशाली केंद्रीय समिति (Central Committee) के लिए चुना गया था।
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चीनी पीएम ली केकियांग (li keqiang) की छुट्टी
कल इन्टरनेट पर सीसीपी कांग्रेस समारोह की एक विडियो वायरल हो रहा था, जिसमें सीसीपी के दो एजेंट्स पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ (Hu Jintao) को जबरदस्ती ‘ ग्रेट हाल ऑफ द पीपल’ से उठाकर बाहर निकाल दिया। ऐसा माना जाता है कि हु ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ़ विद्रोह की योजना बनाई थी, जिसमें उनका साथ पीएम ली केकियांग ने भी दिया था।
यही कारण है कि हु की तरह पीएम ली केकियांग की भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने केंद्रीय समिति से छुट्टी कर दी। चीनी पीएम ली का कार्यकाल अगले साल मार्च तक का है, उनके बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी पसंद के व्यक्ति को चीनी पीएम बनायेगे। उन्होंने अपने सभी विरोधियों (सात में से 4) को केंद्रीय समिति से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
सीसीपी की केंद्रीय समिति
आज रविवार को केंद्रीय समिति के सदस्यों द्वारा 25 सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो का चुनाव किया गया। राजनीतिक ब्यूरो ने चीन पर शासन करने के लिए एक स्थाई समिति के सदस्यों का चुनाव किया।
शनिवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 20वीं सीसीपी कांग्रेस में कहा कि संविधान का संशोधन पार्टी के समग्र नेतृत्व को मजबूत करने और बनाए रखने के लिए स्पष्ट आवश्यकताओं को निर्धारित करता है। यहां आपको बताते चलें कि चीनी संविधान में संशोधन कर शी जिनपिंग के विरोध को प्रतिबंधित कर दिया गया। अगर कोई व्यक्ति शी जिनपिंग का विरोध करता पाया गया तो उसको सख्त सजा हो सकती है।
शी जिनपिंग उर्फ़ तानाशाह
चीन में शी जिनपिंग एक सर्वोच्च शक्ती बन गए हैं, जहां उनके ऊपर कोई नहीं होगा। चीन का मतलब शी जिनपिंग और शी जिनपिंग का मतलब चीन हो गया।
हम इस बात को इस तरह से समझ सकतें हैं कि भारत में संविधान है, जो कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को अलग अलग शक्तियां प्रदान करता है। जो एक दूसरे के अधिकार में अतिक्रमण नहीं करते हैं। न्यायपालिका संसद के बनाए कानून का परिक्षण कर सकती और विधायिका न्यायाधीशों को महाभियोग से पद से हटा सकती है।
न्यायपालिका लोगों की स्वतंत्रता की रक्षक है, जो सरकार के संविधान विरोधी कार्यों को रोक सकती है। अब आप बताओ कि चीन में एक ही व्यक्ती सब कुछ है, वो जो कुछ भी कहे, वही सच और कानून है।