Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space, जो आधुनिक स्पेस टेलीस्कोप के जनक बने।

Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space

मानव सभ्यता और जीवन धरती के स्थलमंडल पर फला फूला है, जिसकी रक्षा धरती का वायुमंडल एक ढाल की तरह करता है। जिससे सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें धरती तक नहीं पहुंच पातीं हैं। लेकिन इसके कुछ दूसरे पहलू भी हैं। जिससे मानव सभ्यता को ब्रह्मांड के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता चल पाता है। क्योंकि मानव धरती के वायुमंडल के कारण एक कैदी का जीवन जीता है। अर्थात् वह गुब्बारे रूपी धरती के वायुमंडल में हमेशा बंद रहता है। यहीं कारण है कि हम ब्रह्मांड के रहस्यों से अनभिज्ञ हैं। अगर हमें ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करना है तो हमें धरती के वायुमंडल से दूर जाना होगा। 

james web spacetelescope
Credit NASA

धरती से बाहर जाकर शोध करने का कारण

जब सूर्य का प्रकाश धरती पर पड़ता है तो उसकी परबैगनीं किरणें धरती तक नहीं आ पाती हैं। इसी तरह हमारा वायुमंडल ब्रह्मांड की गामा, एक्स और पराबैंगनी किरणों को धरती पर प्रवेश करने से रोक देता है। यहीं कारण है कि हम ब्रह्माण्ड के बारे में धरती से ज्यादा कुछ नहीं पता कर सकते हैं। क्योंकि हम केवल गामा, एक्स और पराबैंगनी किरणों के द्वारा ही  ब्रह्माण्ड की उत्त्पति के बारे जान सकतें हैं। जिससे हम हजारों प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारों, अकाशगंगाओ और दुसरे खगोलीय पिंडो के बारे में विस्तार से जान पातें हैं। Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space

अंतरिक्ष में टेलीस्कोप स्थापित करने का विचार दिया

हरमन जूलियस ओबर्थ एक ऑस्ट्रो-हंगेरियन मूल के जर्मन भौतिक विज्ञानी और इंजीनियर थे जिन्होंने दुनिया को 1923 में पहली बार अंतरिक्ष में तैरती टेलीस्कोप के बारे में बताया था। इसी पर हरमन ओबर्थ ने “डाई राकेते ज़ू डेन प्लैनेटेनरूमेन” (“The Rocket in Planetary Space“) में अपने विचार प्रकट किए थे। जिसमें उन्होंने बताया था कि अंतरिक्ष में एक टेलीस्कोप कैसी हो सकती है। क्यों कि वह आधुनिक रॉकेटरी के तीन जनकों में से एक (रॉबर्ट गोडार्ड और कॉन्स्टेंटिन त्सोल्कोवस्की के साथ) है। इसलिए उन्होंने धरती से बाहर एक टेलीस्कोप स्थापित करने का विचार साझा किया और कहा कि अगर हमें ब्रह्मांड के बारे में विस्तार से जानना है। तो हमें धरती से बाहर जाना पड़ेगा। Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space

Hermann Julius Oberth
Hermann Julius Oberth

हरमन जूलियस ओबर्थ के अलावा, एक विख्यात अमेरिकी खगोल भौतिकीविद् लाइमन स्पिट्जर  (American astrophysicist Lyman Spitzer) 1946 में, बाह्य अंतरिक्ष में टेलीस्कोप संचालित करने की कल्पना की और इसके ढेर सारे फायदे भी गिनाएं थे। जब अमेरिका के शत्रु सोवियत संघ ने मानव सभ्यता के इतिहास में पहली बार अंतरिक्ष में  1957 में सोवियत उपग्रह स्पुतनिक का सफल प्रक्षेपण कर लिया था। Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space

तब अमेरिका छटपटा उठा था। लेकिन इस काम में अमेरिका की लाइमन स्पिट्जर ने बहुत सहायता की। सोवियत उपग्रह स्पुतनिक के प्रक्षेपण के बाद, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने दो सफलतापूर्वक दो कक्षीय खगोलीय वेधशालाओं (OAOS) को कक्षा में 1968 में लॉन्च किया। इसी के साथ उन्होंने भविष्य की अंतरिक्ष वेधशालाओं के निर्माण और प्रक्षेपण के बारे में विभिन्न अनुभव दिए। जिसका प्रतिफल हब्बल अंतरिक्ष टेलीस्कोप के रूप में 24 अप्रैल, 1990 को प्रकट हुआ। Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space

अंतरिक्ष में टेलीस्कोप का इतिहास

पहली बार अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने ऑपरेशनल कक्षीय खगोलीय वेधशाला, ओएओ -2 (Operational Orbital Astronomical Observatory, OAO-2) को 1968 में लॉन्च किया गया था।

अमेरीका के बाद, सोवियत संघ ने अंतरिक्ष में ओरियन 1 नाम से एक पराबैंगनी टेलीस्कोप को लॉन्च किया था। हालाकि इसको सोवियत संघ ने अपनी अंतरिक्ष स्टेशन सैल्यूट 1 (space station salyut 1) में (1971 में) ही स्थापित किया था। Scientist who gave the idea of ​​setting up telescope in space

स्पिट्जर और हरमन जूलियस ओबर्थ (Hermann Julius Oberth) के विचार 24 अप्रैल 1990 को सच हो गए थे। क्योंकि अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर हब्बल टेलीस्कोप को अंतरिक्ष में लॉन्च कर दिखाया था।

भारत ने अपना पहला ऑपरेशनल स्पेस टेलीस्कोप एस्ट्रोसेट (operational space telescope astrosat) 1 को 28 सितंबर 2015 को पीएसएलवी एक्सएल रॉकेट से लॉन्च किया था। 

चीन भी अपना पहला अंतरिक्ष टेलीस्कोप 2024 में लॉन्च करने जा रहा है। जिसका नाम Xuntian है, हालाकि इसको चीनी अंतरिक्ष स्टेशन टेलीस्कोप (chinese space station telescope) भी कहा जा सकता है।