जैसे को तैसा, भारतीय फॉकलैंड, स्कॉटलैंड और डियागो गार्सियो की आज़ादी की आबाज उठाए, भारत ने ब्रिटिश उच्चायोग से बाहरी सुरक्षा घेरा हटाया

आज भारतीय सरकार के आदेश पर ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर से बाहरी सुरक्षा घेरा हटा लिया गया है। यह भारतीय सरकार ने तब उठाया है, जब लंदन में भारतीय उच्चायोग की बिल्डिंग पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला कर दिया और भारतीय ध्वज को फाड़ने की कोशिश की।

लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा में कमी के उत्तर में, भारत सरकार ने ब्रिटिश उच्चायोग के बाहर और चाणक्यपुरी में ब्रिटिश उच्चायुक्त के आवास से बैरिकेड्स हटा लिए। इस कदम को लंदन में भारतीय तिरंगे के अपमान के बाद उठाया गया।
आपको बताते चलें कि दिल्ली पुलिस ने मीडिया को बताया कि दिल्ली पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर बैरिकेड्स और पीसीआर वैन हटा लिए गए। इसके अलावा दिल्ली पुलिस मुख्यालय सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़ा हुआ है। लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, अभी ब्रिटिश उच्चायोग को सुरक्षा प्रदान है, लेकिन बैरिकेड्स और पीसीआर वैन जैसी चीजों को हटा लिया गया। जिनके कारण आम आदमी उस रास्ते पर चल नहीं सकता था।
इस बीच, ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा, “हम सुरक्षा मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं। दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायोग में सुरक्षा में कमी की संभावना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
ब्रिटिश सरकार ने केवल भारतीय उच्चायोग पर हमले की निंदा की और ऐसा लग रहा था कि मानो उन्होंने अपना पीछा छुड़ा लिया। जिसके बाद भारत सरकार ने यह कार्यवाई की है। क्योंकि लंदन में कई बार भारतीय उच्चायोग पर हमले हो चुके हैं और ब्रिटेन सरकार इसे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मानकर मामले को गंभीरता से नहीं लेती।
भारत सरकार फॉकलैंड, स्कॉटलैंड और डियागो गार्सियो की आज़ादी की आबाज उठाए
फॉकलैंड, जिनको ब्रिटिश सरकार अपने उपनिवेशक काल का आइकॉन मानती है, जबकि ब्रिटेन का इन फॉकलैंड आइलैंड्स पर कभी अधिकार नहीं था। इन्होंने मात्र 1500 लोगों को लोकतंत्र मानकर, फॉकलैंड्स आइलैंड्स को अपनी बपौती बना बैठे हैं। जबकि असल में ये सभी आइलैंड्स अर्जेंटीना देश के हैं, ये अंग्रेजो के मानसिक और गिरेपन को दर्शाता है।
स्कॉटलैंड, यह देश अब ब्रिटेन के साथ नहीं रहना चाहता है। इस देश के लोग ब्रिटिश गुलामी से मुक्त होना चाहतें हैं। जिनको ब्रिटिश सरकार ने गुलाम बना रखा है, स्कॉटलैंड यूरोपीय संघ से जुड़ना चाहता है, जबकि ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से नाता तोड़ लिया।
डियागो गार्सियो, मॉरिशस देश का आपने नाम सुना ही होगा। जिसके एक आइलैंड पर कब्ज़ा कर बैठा है। जिसको ब्रिटेन अपनी भूमि बताता है, जबकि यह आइलैंड ब्रिटेन के उपनिवेश का पाप है। जिस पर वास्तविक नियंत्रण मॉरिशस देश का होना चाहिए।
हम भारतीयों को भी ब्रिटेन के इन विवादित मुद्दों पर ट्वीटर या अन्य सोशल मीडिया पर आवाज उठानी चाहिए। ताकि ब्रिटेन फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर भारतीय संप्रभूता से खिलवाड़ न कर सके।
इस तरह की बीमारी केवल ब्रिटेन में ही नहीं है बल्कि अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में यह बीमारी फैल रही है। खालिस्तानी आतंकी इन देशों में खुलेआम भारत को तोड़ने की बातें करते हैं, जबकि ये सभी देश इसे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का नाम देते हैं। क्योंकि इनकी मंशा ही शक के दायरे में आती है। ये देश कभी भी भारत के हितेषी नहीं हो सकतें हैं, इसलिए भारत को इन सभी देशों से थोड़ा अंतर कर मिलना चाहिए। इनसे दोस्ती सिर्फ़ आर्थिक तौर पर होनी चाहिए, रक्षा के मामले में इनसे सावधानी बरतनी चाहिए। अमेरिका कनाडा और ब्रिटेन कभी भी भारत के हितेषी नहीं हो सकते हैं। ये जितने 1971 में भारत विरोधी थे उतने ही अभी भी हैं। बस मुंह से बोलते नहीं हैं, सामने मीठी मीठी बातें और दूसरी तरफ खालिस्तानियों को अपने देशों में खुली छूट यही दर्शा रही है।