PetroDollar Agreement:1973 का पेट्रोडॉलर समझौता, अमेरिका सऊदी का सुरक्षा गारंटर बन बैठा

PetroDollar Agreement:1973 का पेट्रोडॉलर समझौता, अमेरिका सऊदी का सुरक्षा गारंटर बन बैठा

पेट्रो डॉलर समझौता (petro dollar agreement)

पेट्रोडॉलर समझौता (PetroDollar Agreement) संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हुआ एक ऐतिहासिक (Historical) समझौता है। इसको 1970 के दशक में लागू किया गया था। इस समझौता को 1973 के तेल संकट के बाद स्थापित किया गया था, 1973 के समय तेल की कीमतों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई थी। जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था और देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था।

पेट्रो डॉलर समझौते की शर्तें (petro dollar deal terms)

1973 के समझौते के तहत, विश्व का प्रमुख तेल उत्पादक देश सऊदी अरब विशेष रूप से अमेरिकी डॉलर में तेल बेचने और अपने तेल राजस्व (Oil Revenue) को अमेरिकी ट्रेजरी बांड (US Treasury Bonds) और अन्य अमेरिकी संपत्ति (american property) में निवेश करने (PetroDollar Agreement) के लिए सहमत हुआ। सऊदी अरब ने अमेरिका की इन सभी शर्तों लो मान लिया और इसके बदले में संयुक्त राज्य अमेरिका ने सऊदी अरब को सैन्य सहायता और सुरक्षा गारंटी की शर्तें मानी।

हालाकि इस समझौते की जड़े योम किप्पुर युद्ध (Yom Kippur War) से जुड़ा हुआ है। जब युद्ध में अमेरिका ने खाड़ी देशों का समर्थन न करके इजरायल का समर्थन किया था। यही कारण है कि यह समझौता 1973 के तेल प्रतिबंध की प्रतिक्रिया थी।

पेट्रोडॉलर समझौते का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव (Effects of the Petrodollar Agreement on the Global Economy )

इस समझौते ने सऊदी अरब को कोई अधिक लाभ नहीं पहुंचाया, लेकिन अमेरिकी डॉलर को पेट्रोडॉलर समझौते ने पंख लगा दिए। इस समझौते की वजह से अमेरिकी डॉलर एक वैश्विक मुद्रा बनकर उभरी है। जिसका सबसे बड़ा कारण यह था कि जिसको सऊदी अरब या ओपेक देशों से तेल खरीदना होता था तो उसे डॉलर (PetroDollar Agreement) की आवश्कता होती थी। मांग ने डॉलर की स्थिति बेहद मजबूत कर दी।

यूएस ट्रेजरी बांड (US Treasury Bonds)

पेट्रोडॉलर की तरह एक ओर अमेरिका समझौता किया था, जिसके तहत यूएस (PetroDollar Agreement) ने सऊदी अरब और अन्य देशों को ट्रेजरी बांड बेचकर अपने बजट घाटे को पूरा करने की अनुमति दी। क्योंकि ये सभी देश अमेरिकी डॉलर को अपने विदेशी मुद्रा भंडार में एकत्र कर रहे थे। इससे अमेरिका को अपने यहां ब्याज दरें कम रखने में सहायता की और यूएस सरकार के खर्चों में विदेशी निवेशकों ने सहायता की।

पेट्रोडॉलर समझौता सऊदी अरब और यूएस के संबंधो में एक मील का पत्थर साबित हुआ। सऊदी अरब (PetroDollar Agreement) खाड़ी देशों में अपने प्रभाव को फैलाने में सफल हुआ और वह विश्व का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश भी बना।

अंत में, इसने संयुक्त राज्य अमेरिका को मध्य पूर्व में काफी भू-राजनीतिक प्रभाव दिया, क्योंकि यह सऊदी अरब की सुरक्षा का प्राथमिक गारंटर बन गया।