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हड़प्पा सभ्यता का भोगौलिक विस्तार
- सिंधू घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata) को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता था। जिसका भौगोलिक विस्तार उत्तरी भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान था।
- इसको कांस्य युगीन एवं संस्कृतिक “ताम्र पाषाणिक सभ्यता” ( taamr paashaanik sabhyata) भी कहा जाता है।
- इसका सभ्यता का हड़प्पा संस्कृति रखा गया, क्योंकि इसकी सबसे पहले ख़ोज 1921 में पाकिस्तान के हड़प्पा नामक स्थान पर हुई थी। mohenjodaro and harappa civilization
- हड़प्पा की ख़ोज रायबहादुर साहनी ने 1921 में भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक जॉन मार्शल के नेतृत्व में की थीं।
- सिंधु घाटी सभ्यता के दूसरे महत्वपूर्ण शहर मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro ) की ख़ोज 1922 में राखल दास बनर्जी ने की थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े प्रमुख स्थल Lothal पास में Ahmedabad (Gujarat), Kalibanga (Rajasthan), Hisar (Haryana) आदि हैं।
- हड़प्पा सभ्यता के तहत् पंजाब, बलूचिस्तान और सिंध ही नहीं आते थे बल्कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल थे।
- अगर हम इसके फैलाव की बात करें तो यह उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक और पश्चिम में Baluchistan के मकरान तक और पूर्व में यह उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर तक फैली थी।

स्थल | वर्तमान क्षेत्र | खोजकर्ता | वर्ष | मुख्य नदी |
---|---|---|---|---|
हड़प्पा | Montgomery District, Pakistani West Punjab | रायबहादुर दयाराम साहनी , व्हीलर और माधव वत्स | 1921 | रावी नदी |
मोहनजोदड़ो | District Larkana, Sindh Province Pakistan | राखल दस वनर्जी और व्हीलर | 1922 | सिंधु नदी |
लोथल | Ahmedabad Gujarat India | रंगनाथ राव | 1957 ई. | भोगवा |
चन्हुदडो | Sindh | मैके और मजूमदार | 1931 | सिंधु |
कालीबंगा | Hanumangarh Rajasthan | अमला आनद घोष ब्रजवासी | 1953 और 1960 | घग्घर |
राखीगढ़ी | Hisar Haryana | सूरज भान | 1969 | घग्घर |
रंगपुर | Ahmedabad, Gujarat | एस आर राव | 1954 | भादर |
बनावली | Hisar, Haryana | आर एस बिष्ट | 1973 | सरस्बती |
सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण
- भारतीय उपमहाद्वीप की सिंधु सभ्यता के समय निर्धारण करने में बहुत से पुरातत्व विशेज्ञ असमंजस में हैं।
- ब्रिटिश भारत के पुरातत्व विभाग के Director General John Marshall ने 1931 में सिंधू सभ्यता की काल निर्धारण किया था। उन्होंने इसे लगभग 3250 ईसा पूर्व से 2750 ईसा पूर्व की सभ्यता कहा था।
- रेडियो कार्बन-14 द्वारा काल निर्धारण; इस आधुनिक पद्धति द्वारा हड़प्पा सभ्यता की तिथि 2350 ईसा पूर्व से लेकर 1750 ईसा पूर्व रखी गई है। जो कि एक सर्वमान्य गणना है। mohenjodaro and harappa civilization
विद्वान | काल निर्धारण |
---|---|
जॉन मार्शल | 3250 ईसा पूर्ब -2700 ईसा पूर्ब |
रेडियो कार्बन | 2300 से 1750 ईसा पूर्ब |
NCE RT | 2500 ईसा पूर्ब -1800 ईसा पूर्ब |
अर्नेस्ट मैके | 2800 ईसा पूर्ब -2500 ईसा पूर्ब |
हड़प्पा सभ्यता के 4 भौगोलिक क्षेत्र
1. मांड्या
- मांड्या जम्मू कश्मीर के Akhnoor district के चिनाब नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। यह हड़प्पा सभ्यता का सबसे विकसित उत्तरी स्थल है। इसकी खुदाई जगपति जोशी व मधुबाला (1982 में) द्वारा की गई थी।
2.आलमगीरपुर
- आलमगीरपुर मेरठ जिले की हिंडन नदी पर स्थित है। Hindon River यमुना नदी की सहायक नदी है।
- इस हड़प्पा स्थल की ख़ोज सन् 1958 ईस्वी में भारत सेवक समाज नामक संस्था द्वारा की गई थी। लेकिन इसका उत्खनन Yagya Dutt Sharma द्वारा किया गया था। यह सिंधु सभ्यता का पूर्वी हिस्सा है।
3. देमाबाद
- यह महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की प्रवरा नदी के बाएं हिस्से में स्थित है। यह सिंधु सभ्यता का दक्षिणी स्थल है।
4. सुत्कांगगेडोर
- दाशक नदी के तट पर स्थित यह सिंधु सभ्यता का पश्चिमी स्थल है। इसकी ख़ोज 1927 में Sir Mark Orrell Stein द्वारा की गई थी।

हड़प्पा सभ्यता के कुछ तथ्य
- हड़प्पा सभ्यता एक त्रिभुजकार की सभ्यता थी, क्योंकि इसका संपूर्ण क्षेत्र एक त्रिभुज के आकार में स्थित है और इसका कुल क्षेत्रफल 1,299,600 वर्ग किलोमीटर है। mohenjodaro and harappa civilization
- हड़प्पा(पंजाब में) और मोहनजोदड़ो (सिंध में) दोनों पाकिस्तान में स्थित हैं। यह दोनों स्थल एक दूसरे से 483 किमी दूर स्थित हैं। तब भी सिंधु सभ्यता से जुड़े थे।
- मोहनजोदड़ो मृतकों का टीला नाम से प्रसिद्ध है।
हड़प्पा सभ्यता का स्वरूप (Nature of Harappan Civilization)
कृषि (Agriculture of the Harappan Civilization in Hindi)
- सिंधु सभ्यता के निवासियों का प्राथमिक व्यवसाय कृषि था। उनकी मुख्य फसलें ‘गेहूं ‘ और जौं ‘ थी। उनकी दूसरी फसलें तिल और सरसों भी थी।
- कृषि के बाद सिंधु सभ्यता के वासियों का दूसरा व्यवसाय पशुपालन था, बैल, भेड़ बकरियां, कुत्ते और सुअर आदि पालतू पशु थे।
- सिंधु वासियों को कुबड़ वाला सांड बहुत पसंद था, यह लोग, गेंडो, गधे और ऊंट से परिचित थे। हाथी और घोड़े को भी जानते थे। लेकिन इन्हें वह पालतू नहीं बना सकें। mohenjodaro and harappa civilization
- सर्वप्रथम कपास की खेती का श्रेय सिंधु वासियों को ही जाता है। सिंधु क्षेत्र में पहली बार कपास की खेती की गई थी। यूनान के लोग कपास को सिंडन (Sindon in Hindi) कहा करते थे।
- चावल के उत्पादन के साक्ष्य लोथल और रंगपुर में मिले हैं। हालाकि गन्ना का कोई प्रमाण नहीं मिला। बाजरे और सरसों की खेती के साक्ष्य भी मिले हैं।
- सिंधु सभ्यता के लोग हल के प्रयोग से परिचित थे। क्योंकि कालीबंगा में हल से जुते हुए खेत प्राप्त हुए हैं।
- सिंधु सभ्यता के लोग तांबे का उपयोग किया करते थे। इसके अलावा पत्थर, हड्डी और अन्य धातुओं का व्यापार किए करते थे।
- मेसोपोटामिया की सभ्यता से बहुत सी हड़प्पा संस्कृति की मुहरें निकली हैं। जिससे साफ़ होता है कि सिंधु सभ्यता के लोग mesopotamia and harappa civilizationn civilization In Hindi के लोगों से व्यापार किया करते थे।

कच्चा माल | क्षेत्र |
---|---|
चांदी | ईरान , अफगानिस्तान |
टिन | अफगानिस्तान, ईरान |
सोना | अफगानिस्तान, दक्षिणी भारत, फारस |
तांबा | खेतड़ी राजस्थान , बलुचिस्तान |
सीसा | अफगानिस्तान, फारस, राजस्थान |
नीलरत्न मणि | अफगानिस्तान |
हरितमणि | दक्षिण एशिया |
शीलाजीत | हिमालय क्षेत्र |
शंख | सौराष्ट्र , दक्षिणी भारत |
लाजवर्द | मेसोपोटामियाँ , अफगानिस्तान |
सामाजिक जीवन (Social Life of the Harappan Civilization)
- परिवार समाज का आधार हुआ करता था, सिंधु सभ्यता का समाज मातृसत्तामक ( society matriarchal) था। क्योंकि हड़प्पा सभ्यता से मातृ देवी की पूजा से संबंधित चीजे प्राप्त हुईं हैं।
- समाज पूरी तरह से 4 वर्गों में बंटा हुआ था, 1.विद्वान 2. योद्धा 3. व्यापारी 4. शिल्पकार
- सिंधु सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे।
- मनोरंजन के साधनों में जुआ खेलना, शिकार करना और नृत्य आदि शामिल थे।
- हड़प्पा सभ्यता के लोग सूती और ऊनी दोनों प्रकारों के कपड़े पहना करते थे। इसके अलावा पुरुष और महिलाएं आभूषण धारण किया करती थी। धार्मिक त्यौहार धूमधाम से मनाए जाते थे।
- सिंधु सभ्यता के लोग युद्ध प्रिय थे।
- सिंधु सभ्यता में शवों के जलाने और दफनाने दोनों प्रथाएं प्रचलित थी। जोकि सनातन धर्म में आज भी चली आ रही हैं।
धार्मिक जीवन ( Religious Life of the Harappan Civilization)
- सिंधु सभ्यता के लोग मातृ देवी की पूजा किया करते थे।
- वृक्ष पूजा (पीपल वृक्ष) का भी प्रचलन था। जैसा कि आज भी हिन्दू धर्म में पेड़ पौधों की पूजा की जाती है।
- हड़प्पा सभ्यता से मन्दिर के अवशेष नहीं प्राप्त हुए हैं। किंतू फिर भी मातृ देवी की उपासना और कुबड़वाला सांड (hunchbacked bull) पूजनीय था। सिंधु सभ्यता के लोग नाग की भी पूजा किया करते थे।सिंधु सभ्यता के लोग वृक्ष, पशु और मानव के स्वरूप में देवताओं की पूजा किया करते थे। भूत प्रेत आदि में विश्वास करते थे। जिसके लिए वह ताबीज भी बांधा करते थे। mohenjodaro and harappa civilization
- मोहनजोदड़ो से स्वास्तिक चिन्ह और सूर्य पूजा का प्रतीक प्राप्त हुआ है। जोकि आज स्वास्तिक हिन्दू धर्म का मांगलिक चिन्ह है। इसे चतुर्भुज ब्रह्म का रूप माना गया है।
- फाख्ता पक्षी एक पवित्र पक्षी था।
धार्मिक प्रतीक चिन्ह | उपयोगिता |
---|---|
ताबीज़ | प्रजनन शक्ति का प्रतीक |
बैल | शिव का वाहन |
बकरा | बलि हेतु |
नाग | पूजा हेतु |
श्रृंग | शिव का रूप |
स्वास्तिक | सूर्य उपासना का प्रतीक |
योगी शिव | योगीश्वर |
भैंसा | देवताओं की अपने शत्रुओं पर विजय का प्रतीक |
लिंग | भगवान् शिव |
युगल शवाधान | सती प्रथा का प्रतीक |
राजनीतिक जीवन ( Political Life of Harappan Civilization)
- हड़प्पा संस्कृति में शासन व्यवस्था केंद्रीय शक्ति पर आधारित थी। पुरातत्व सर्वेक्षण में राजनीतिक व्यवस्था के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं प्राप्त हुई है। लेकिन वणिक वर्ग हड़प्पा सभ्यता पर शासन करते थे।
- पुरातत्ववादी लोगों ने इसकी शासन व्यवस्था को लोकतांत्रिक और राजतांत्रिक बताया है और मैके का कहना है कि मोहनजोदड़ो पर एक प्रतिनिधि का शासन था। mohenjodaro and harappa civilization
हड़प्पा लिपि (script of the Harappan civilization)
- सिंधु लिपि पर सबसे पहले अपने विचार अलेक्जेंडर कनिंघम ने प्रस्तुत किए थे। उन्होंने ही 1873 में बताया था कि इसकी लिपि का संबंध ब्राह्मी लिपि से है।
- सिंधु लिपि को पहली बार पढ़ने का प्रयास 1928 में एल. ए. वेडेल द्वारा की गई थी।
- लिपि का सबसे पुराण नमूना सन् 1853 में मिला था और 1923 तक दुनिया के सामने आई। किंतू दुर्भाग्यवश कोई इसे आज तक पढ़ नहीं सका।
- इस लिपि पर मछली, चिडियों और मानवाकृतियों के चिन्ह उकरे हुए हैं।
- यह लिपि दाईं से बायीं ओर लिखी गई है।
- हड़प्पा लिपि वर्णनात्मक शैली में नहीं है बल्कि यह चित्रलेखात्मक शैली में है।
नगर नियोजन (City Planning of Harappan Civilization)
- हड़प्पा सभ्यता दुनिया की पहली नगरीय सभ्यता है, जहां की नगर नियोजन प्रक्रिया बेहद श्रेष्ठ थी।
- नगरों के उच्च भाग को नगर दुर्ग कहा जाता था और निचले इलाकों को निचला नगर कहा जाता था।
- कालीबंगा एक मात्र ऐसा हड़प्पा कालीन जगह थी, जो निचले शहर के किले से घिरा हुआ था।
- सड़के समकोण पर आकर मिलती थी।
- भवन दो मंजिला हुआ करते थे।
- विशाल स्नानगार भी प्राप्त हुआ है। जोकि एक जलपुजा का साक्ष्य है।
- मोहनजोदड़ो में एक अन्नागार भी प्राप्त हुआ है, जो लगभग 45.71 मीटर लंबा और 15.23 मीटर चौड़ा है।
- हड़प्पा के दुर्ग में कुल 6 अन्नगार भी प्राप्त हुए हैं। हर अन्नागार की लंबाई 15.23 मीटर और चौड़ाई 6.09 मीटर है।
- कालीबंगा में कुओं का भी साक्ष्य मिला है और ईंटो और पत्थरों से ढके पानी के मुख्य निकास द्वार भी मिले हैं।
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