लाहौर भारत का हिस्सा बनता बनता रह गया, जानें लाहौर को भारत से दूर ले जानें वाली साजिश – Lahore India Relations

इतिहास; लाहौर बेहद ही खूबसूरत शहर है। जहां की सड़के और इमारतें देखते ही बनती थी। जब भारत का विभाजन नहीं हुआ था तब लाहौर भारत के बड़े शहरों में से एक हुआ करता था। किंतु अब लाहौर पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है। भारत के पास दो बड़े मौके थे, जब लाहौर को भारत का हिस्सा बनाया जा सकता था।

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Lahore History Facts In Hindi

Lahore History Facts In Hindi

लाहौर शहर का संबंध भगवान राम से भी है। क्योंकि इस शहर का नाम के बेटे love के नाम पर पड़ा था। यह भी कहा जाता है कि लव ने ही लाहौर शहर की स्थापना की थी। इसके अलावा लाहौर के ही दक्षिण भाग में एक दूसरा कासुर नाम से शहर है। जिसको कुश से जोड़ा जाता है। हालाकि अब पाकिस्तान इन एतिहासिक बातों को नहीं मानता है।

लाहौर मुगल साम्राज्य की राजधानी भी रही थी और उनके पतन के बाद लाहौर अफ़गान साम्राज्य की एक प्रोविंस रही थी। इसके अतिरिक्त लाहौर सिख साम्राज्य की भी राजधानी बनी थीं। जिसका सबसे बड़ा कारण है कि लाहौर और पंजाब बेहद भोगोलिक रूप से नजदीक स्थित हैं।

लाहौर की जनसांख्यिकी  परिवर्तन की साजिश / Lahore India Relations

अगर हम 1941 की जनगणना की रिपोर्ट देखे तो उस समय लाहौर की कुल आबादी 6,71,659 थीं। जिसमें मुस्लिम जनसंख्या 60% और हिन्दू सिख जनसंख्या 40% थीं। लेकिन कुछ इतिहासकार कहते हैं कि 1927 के क़रीब बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को लाहौर शहर में बसाया गया था। जिससे वहां मुस्लिम आबादी हिंदुओ और सिखों से ज्यादा हो गई।

पाकिस्तान में लाहौर को शामिल कराने की साज़िश

लाहौर को पाकिस्तान में मिलाने के साजिश मुस्लिम लीग द्वारा 1947 से पहले ही रची जा रही थी। उसको सफलता मार्च 1947 में प्राप्त हुईं। क्योंकि मार्च 1947 में, खिज्र हयात की सरकार गिर गई, मुस्लिम लीग ने खिज्र हयात की सरकार  का समर्थन किया। जिससे मुस्लिम लीग लाहौर में बहुत जल्दी ही विख्यात हो गई। इसका फायदा उठाकर मुस्लिम लीग ने एक प्रोपेगंडा शुरु कर दिया कि मुस्लिम लीग के शासन में लाहौर के लोगों का जीवन बेहतर होगा। यहीं से मुस्लिम लीग की लाहौर को पाकिस्तान में शामिल कराने की साज़िश शुरू हो गई थी।

लाहौर की वर्तमान आर्थिक स्थिति

अगर 20वीं शताब्दी के लाहौर को देखा जाए तो वहां ज्यादतर हिन्दू और सिख ही व्यापार करते थे। हिन्दू मुसलमानों की अपेक्षा ज्यादा पढ़े लिखे थे। और सांस्कृतिक रूप से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में सेवा करने के लिए बेहतर स्थिति में थे। इस समय लाहौर में कई आधुनिक सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक-निजी बैंक, बीमा कंपनियां, गोदाम और शैक्षणिक संस्थान बन चुके थे। लेकिन बंटबारे के बाद,  हिन्दू और सिख व्यापारियों को वहां से सब कुछ छोड़ कर भागना पड़ा था।

अगर हम वर्तमान में लाहौर शहर की बात करें तो यह बेहद गरीब अवस्था में है। क्योंकि इस समय इसकी जीडीपी 35 बिलियन डॉलर है। जबकि भारत के मुम्बई और दिल्ली शहर की नॉमिनल जीडीपी 230 और 210 बिलियन डॉलर है।

लाहौर भारत में शामिल होते होते रह गया बंटबारे के समय, 1947 में

अगर हम भारत के बंटवारे पर बात करूं तो अंग्रेजो ने भारत का बंटबारा जल्दबाजी में किया था। क्योंकि पाकिस्तान और भारत के बीच की सीमा रेखा रेडक्लिफ के नाम से जानते हैं। रेडक्लिफ, एक ऐसा व्यक्ति था, जो कभी भी भारत नहीं आया था और उसे भारत का बंटबारा करने के लिए मात्र 7 सप्ताह ही दिए गए थे। इसलिए उन्होंने जल्दबाजी में भारत के बंटबारा कर दिया। इसी गलती का भुगतान भारत ने लाहौर शहर को खो के दिया।

लाहौर का क्षेत्रफल कितना है?

1,772 वर्ग किमी

क्या लाहौर एक हिंदू नाम है

माना जाता है कि लाहौर शहर की स्थापना भगवान राम के पुत्र लव द्वारा की गई थी।

लाहौर किस लिए प्रसिद्ध है?

लाहौर काव्य के लिए प्रसिद्ध और विख्यात था।

लाहौर पाकिस्तान में कहां स्थित है?

लाहौर भारतीय प्रांत हिमाचल प्रदेश की सीमा के पास, रावी नदी पर ऊपरी सिंधु मैदान में देश के मध्य पूर्व भाग में स्थित है

Cyril Radcliffe’s famous statement on Lahore

भारत के  वयोवृद्ध पत्रकार व लेखक स्वर्गीय कुलदीप नायर ने अपनी विख्यात पुस्तक ‘Scoop : Inside Stories from the Partition to the Present‘ में लिखा है कि इंग्लैंड की सरकार ने भारत के सीमा आयोग का अध्यक्ष ‘sir cyril radcliffe‘ को नियुक्त किया था। जिन्होंने भारत की स्वतंता के एक चौथाई सदी बाद स्वीकार कर लिया है कि मैने लगभग भारत को लाहौर शहर दे ही दिया था। लेकिन तभी मैने सोचा कि पाकिस्तान के पास कोई बड़ा शहर नहीं होगा। क्योंकि मैने भारत को कलकत्ता जैसा बड़ा आधुनिक शहर पहले ही दे दिया है। यहीं कारण था कि उन्होनें लाहौर को पाकिस्तान को सौप दिया।

India Pakistan War Hindi facts, 1965

आज हर भारतीय जानता है कि पाकिस्तान ने भारत पर 1965 में आक्रमण कर दिया था। जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान को घुटनों पर आने के लिए विवश कर दिया।

यहीं वह युद्ध था। जिससे आज लाहौर भारत का हिस्सा होता। भारतीय सेना पंजाब के बुर्की के रास्ते लाहौर शहर तक पहुंच गई थी। यहीं  भारत और पाकिस्तान में 1965 को भीषण युद्ध हुआ था, जिसे बुर्की की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। हालाकि बुर्की एक पाकिस्तानी गांव हैं, जो भारत की सीमा के पास लाहौर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।

लाहौर पर कब्ज़ा न करने के कारण

भारत के लाहौर पुनः कब्ज़ा न कर पाने का बड़ा कारण विश्व शक्तियों का दबाव और कम सैन्य शक्ति का होना था। क्योंकि लाहौर में भारतीय सेना कम मात्रा में ही थी और दुसरी तरफ पाकिस्तान की सेना कश्मीर से हटकर लाहौर की तरफ़ आ रही थी। इसलिए भारत ने वहां से अपनी सेना वापस बुला ली थी। क्योंकि यदि हम लाहौर पर कब्ज़ा भी कर लेते, तो अमेरिका भारत पर लाहौर को पुनः पाकिस्तान को वापस देने का दबाव डालता। दरअसल उस समय रूसिया और अमेरिका के बीच शीत युद्ध चल रहा था और भारत सोवियत संघ की ओर था और पाकिस्तान अमेरिका की तरफ़ था।