1947 से पहले भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही भूमि के हिस्से थे। लेकिन अंग्रेजो की साजिश और जिन्ना के मजहबी उन्माद ने सुंदर से देश के दो बटवारे कर दिए। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर आया था। भारत के अधिकतर नेताओं का मानना था कि पाकिस्तान कभी भी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। अब इन नेताओं की बात सच साबित हो रही है। पाकिस्तान की विफलता के कई कारण रहे हैं। जो इस प्रकार हो सकते हैं।

- मजहबी उन्माद पर पैदा होना
- कश्मीर बना पाकिस्तान का कब्रिस्तान
- पाकिस्तान में संविधान पर संविधान बनते रहे
- लोकतंत्र को सैन्य बूटों से बार बार कुचला गया
- प्रथम सैन्य तख्तापलट, 1958
- दूसरा सैन्य तख्तापलट, 1977
- तीसरा और आखिरी सैन्य तख्तापलट, 1999
- आतंकवाद का स्वर्ग पाकिस्तान
- प्रमुख इस्लामी आतंकी संस्थाएँ
- 1971 में भारत-पाकिस्तान आर्थिक स्थिति
- विदेशी कर्ज़
- दूसरी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
मजहबी उन्माद पर पैदा होना
आज भारत का हर नागरिक जानता है कि पाकिस्तान मोहमंद अली जिन्ना की मजहबी उन्माद की पैदाइश था। जिसके कारण दोनो ओर बंटवारे के समय लगभग 10 लाख से अधिक लोग मारे गए।
कश्मीर बना पाकिस्तान का कब्रिस्तान
जब से पाकिस्तान बना हुआ है तब से लेकर आज तक पाकिस्तानी सेना और नेताओं ने कश्मीर का रोना नहीं छोड़ा है। यही कारण है कि पाकिस्तान ने कश्मीर पर गुरुवार यानी 22 अक्टूबर (First Attack on Kashmir By Pakistan) को हमला किया था। इस हमले को अंजाम पाकिस्तान की सेना का समर्थन प्राप्त पठान कबायली लड़ाकों (Tribal Warriors Attack Kashmir) ने किया था। कबायली लड़ाके 22 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर राज्य के मुजफ्फराबाद तक घुसपैठ कर चुके थे। अभी तक कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के हिस्से में है। जिसको दुनिया पाक अधिकृत कश्मीर या पीओके के नाम से जानते हैं। जब कबायली लड़ाके श्रीनगर तक आ गए थे, तब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। जिसके बाद भारतीय सेना ने कबाइली लड़कों को पीछे धकेला। का वह एतिहासिक समझौता किया. जिसके बाद भारतीय सेना ने लड़ाकों को पीछे खदेड़ा।
पाकिस्तान में संविधान पर संविधान बनते रहे
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश एक साथ ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुए थे। भारत में 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा अपना संविधान अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को प्रभावी भी किया गया था। तब से लेकर अब तक एक ही संविधान है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में कई बार संविधान को बर्खास्त किया गया। पाक द्वारा मई, 1955 में दूसरी संविधान सभा का गठन किया गया, जिसने 29 फरवरी, 1956 को पाकिस्तान का पहला संविधान बनाया और पारित किया। उसी वर्ष 23 मार्च को प्रख्यापित, इस विधानसभा ने एक संसदीय विधायिका के साथ सरकार के संसदीय रूप का प्रावधान किया। पाकिस्तान में संविधान 6 वर्षों के बाद लागू हुआ था। जबकि भारतीय संविधान जनवरी 1950 में ही लागू हो गया था।
पाकिस्तान सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर संविधान को रद्द करने की जानकारी दी गई है। पाक में 7 अक्टूबर, 1958 को मार्शल लॉ की घोषणा के कारण संविधान को रद्द कर दिया गया। लेकिन फरवरी 1960 में सैन्य सरकार ने अपना एक संविधान आयोग नियुक्त किया। जिसने एक बार फिर 1962 में संविधान को तैयार किया, जो सरकार के राष्ट्रपति रूप के लिए प्रदान किया गया। हालाकि दूसरा संविधान भी सात साल ही लागू रह पाया, इसको 25 मार्च, 1969 को निरस्त कर दिया गया।
पाकिस्तान वर्तमान संविधान 1973 में लागू किया गया, इसे 1973 का संविधान भी कहा जाता है। इसको जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार द्वारा देश के विपक्षी दलों की सहायता से बनाया गया था, इसे 10 अप्रैल को संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था और 12 अप्रैल 1973 को राष्ट्रपति द्वारा प्रमाणित किया गया था। 14 अगस्त 1973 को विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गय। इस संविधान को इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान का संविधान कहा जाता है। स्पष्ट रूप से कहें, तो यह संविधान कब तक अस्तित्व में रहेगा।
लोकतंत्र को सैन्य बूटों से बार बार कुचला गया
1947 के बाद ही पाकिस्तान में सेना द्वारा सरकार का तख्तापलट करने का प्रयास किया गया। पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट या मार्शल लॉ 1958 में शुरू हुआ।
पाकिस्तान, जिस तरह से मजहबी उन्माद से जन्मा है, उसका बुरा हाल होना ही था। जो गैर मुस्लिमों के लिए नफ़रत 1947 में थी, वही आज कई हज़ार गुना अधिक बढ़ चुकी है। जो थोड़ी बहुत कसर थी, उसको सेना, कट्टरपंथियों और नेताओं ने पूरा कर दिया। सेना ने इसमें अहम योगदान दिया।
प्रथम सैन्य तख्तापलट, 1958
पाकिस्तान में पहली बार 1958 में चुनी हुई सरकार का तख्तापलट किया गया। तब सैन्य जनरल अयूब खान ने इस्कंदर मिर्जा से राष्ट्रपति पद छीन लिया। प्रथम मार्शल लॉ कुल 44 महीने तक लागू रहा, अयूब खान 1969 तक पाकिस्तान का सैन्य तानाशाह रहा। जिसने 1969 में जनरल याह्या खान को अपना उत्तराधिकारी नामित किया। यह भी अयूब खान की तरह मुख्य मार्शल लॉ प्रशासक थे। 1971 में भारत द्वारा शर्मनाक तरीके से हार के बाद, याह्या खान ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जुल्फिकार अली भुट्टो का नाम लिया। क्योंकि वह लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आए हुए थे।
दूसरा सैन्य तख्तापलट, 1977
पाकिस्तान में दूसरी बार सैन्य तख्तापलट 1977 में जनरल जिया उल हक द्वारा किया गया। तब उसने संसद को भंग कर और भुट्टो को नजरबंद कर दिया। उसने प्रधानमंत्री के रूप में अपनी कठपुतली मुहम्मद खान जुनेजो को देश के नए प्रधान मंत्री के रूप में चुना। दूसरा सैन्य तख्तापलट 1988 में विमान दुर्घटना में जिया उल हक की मृत्यु के बाद खत्म हुआ।
तीसरा और आखिरी सैन्य तख्तापलट, 1999
आखिरी और तीसरा सैन्य तख्तापलट 1999 में हुआ था, तब जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर दिया। परवेज मुशर्रफ को कारगिल युद्ध में हार का सामना करना पड़ा था। सैन्य तानाशाह परवेज ने 2008 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया और आसिफ अली जरदारी के नए राष्ट्रपति बने।
आप सैन्य शासन की गंभीरता को इस तरह समझ सकतें हैं कि 1947 के बाद से, पाकिस्तान पर 32 वर्षों तक सेना और 43 वर्षों तक लोकतांत्रिक सरकार द्वारा या क्रमशः 45% और 57% समय तक शासन किया गया है। कभी भी सेना द्वारा लोकतांत्रिक सरकार को खुलकर शासन करने ही नहीं दिया।
आतंकवाद का स्वर्ग पाकिस्तान
2011 में, जब दुनिया को पता लगा कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में आतंकी हमला करने वाला इस्लामी आतंकी ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के शहर क्वेटा में मारा गया। अमेरिका द्वारा विश्व के सबसे खतरनाक इस्लामी आतंकी को मारने के बाद, यह तय हो गया कि पाकिस्तान ‘आतंकियों का स्वर्ग ‘ है। इसके अलावा विश्व का सबसे खतरनाक देश है। जुलाई 2019 में, पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान ने संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान स्वीकार किया कि पाकिस्तानी धरती पर सक्रिय लगभग 30,000-40,000 सशस्त्र आतंकवादी हैं। इसी वजह से पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में शामिल रहा। जिससे पाकिस्तान को 130 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।
प्रमुख इस्लामी आतंकी संस्थाएँ
यह कुछ कारण हैं, जिससे पाकिस्तान एक असफल देश बनने की ओर अग्रसर है। इसके अलावा हम यह भी जानेंगे कि पाकिस्तान और भारत आज कहां खड़े हैं। वैसे तो भारत आज इतना आगे बढ़ चुका है कि पाक के साथ भारत की तुलना बेमानी होगा।
1971 में भारत-पाकिस्तान आर्थिक स्थिति
1971 में पाकिस्तान जनसंख्या को देखते हुए भारत से आर्थिक तौर पर अधिक मजबूत था। तब उसकी जीडीपी 1971 में $10.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी और प्रति व्यक्ति आय 179 डॉलर थी। दूसरी तरफ 1971 में भारत की जीडीपी 67.35 बिलियन डॉलर थी। वर्तमान में भारतीय इकोनॉमी का आकार $3.469 ट्रिलियन डॉलर का है और जबकि पाकिस्तानी इकोनॉमी का आकार 376.49 बिलियन डॉलर है।
विदेशी कर्ज़
पाकिस्तान पर कर्ज़ अपने सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है। जनवरी 2023 तक, पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण पाकिस्तानी रुपयों में 62.46 ट्रिलियन (USD 274 बिलियन) के आसपास है, जो पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 79 प्रतिशत है। जबकि जून 2022 के अंत में भारत का बाहरी ऋण 617.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में बाह्य ऋण मार्च 2022 के अंत में 19.9 प्रतिशत से घटकर जून 2022 के अंत में 19.4 प्रतिशत हो गया था।
अब आप समझ सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान आर्थिक आधार पर कहां खड़े हैं। एक तरफ पाकिस्तान कर्ज़ के माया जाल में फंसता जा रहा है। अब उसके पास कर्ज़ के ब्याज की किस्त भी चुकाने के पैसे नहीं हैं।
दूसरी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
भारत, वर्तमान में विश्व की पांचवी इकोनॉमी बन चुका है और जापान को मात देकर विश्व में सबसे बड़ा तीसरा कार बाजार बन चुका है। आईटी सेक्टर, स्पेस, आधारभूत संरचनाओं और डिप्लोमेटिक शक्ति में बहुत आगे निकल गया है।
जबकि पाकिस्तानी आज आटे के लिए आपस में लड़ रहे हैं और पूरी दुनिया में भीख मांगते दर दर भटक रहे हैं।