दुनिया में एक जमीन के हिस्से के लिए दो देशों में युद्ध हो जाया करते हैं, लेकिन दुनिया में एक ऐसी जगह है। जिसको कोई भी देश अपना हिस्सा नहीं मानता है। इस भूमि पर कोई भी देश अधिकार नहीं जताता है, जिस कारण से यहां आने वाले पर्यटक खुद को राजा घोषित कर देते हैं। यहां अपना झंडा फहराते हैं।

इसके अलावा लोग यहां राजा और रानी के रूप में अपने आप को दर्शाते हैं। पर्यटक यहां आकर अपना झण्डा और अपना राज्य बनाते हैं। यहां के बारे में ढेर सारे सोशल मीडिया पर तस्वीरें मिल जायेगी। जिसमें लोग राजा और रानी बने हुए हैं
बीर तवील, जिसे मिस्र और सूडान एक दुसरे को देना चाहते।
बीर तवील या बीर तावेल सूडान और मिस्र की सीमा पर स्थित एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा है। बीर तावील का शाब्दिक अर्थ ‘पानी का कुआं’ है। लैटिन भाषा में इसका अर्थ टेरा न्यूलियस (लैटिन अर्थ ‘किसी की भूमि नहीं) है। जिसका क्षेत्रफल 2,060 वर्ग किलोमीटर (795 वर्ग मील), है, जो भारत के राज्य गोवा से थोड़ा अधिक बड़ा है। यह रेगिस्तानी क्षेत्र दक्षिण में 46 किलोमीटर और उत्तर में 95 किलोमीटर तक फ़ैला हुआ है।
इस भूमि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी भी देश द्वारा शासित नहीं है, यहां का न कोई स्थाई निवासी है और न कोई कानून लागू है। सही मायने बीर तावील पृथ्वी एक आखिरी लावारिश जमीन हैं। यह दो देशों सूडान और मिस्र की सीमाओं पर मौजूद है। ये दोनों देश इस पर अपना दावा नहीं करते हैं। अगर सूडान कह दे कि बीर तावील मिस्र की भूमि है, तो मिस्र इस बात पर भड़क जाता है। यह बहुत ही आश्चर्यजनक है|
बीर तवील विवाद व ऑटोमन साम्राज्य का विनाश
बीर तावील विवाद बहुत वर्षों पुराना है। जिसको सूडान और मिस्र एक दूसरे को देना चाहते हैं। लेकिन दोनों देशों में से एक भी इस भूमि को स्वीकार नहीं कर रहें हैं। भारत और पाकिस्तान की भांति मिस्र और सूडान के बीच भी विसंगतियां हैं। हालाकि भारत और पाकिस्तान की तरह ये दोनों देश बीर तावील पर अपना दावा नहीं करते हैं।
इस विवाद की शुरुआत तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य से होती है। तब मिस्र तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य का एक अभिन्न अंग था। लेकिन इन्हें स्वशासन की शक्ति ऑटोमन साम्राज्य से प्राप्त थी। जिस कारण से मिस्र ने सूडान पर हमला कर कब्ज़ा कर लिया था।
लेकिन ऑटोमेन साम्राज्य 18वी शताब्दी आते आते अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था। इस साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील ब्रिटेन ने मिस्र विजय (1882) के द्वारा गाड़ दी। ब्रिटिश विजय (1882), जिसे एंग्लो-मिस्र युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इसी युद्ध में ब्रिटेन ने मिस्रियों, फ्रांसीसी और ओटोमन साम्राज्य को हराया था। जिससे मिस्र ब्रिटिश प्रभाव में आ गया और तुर्की के ऑटोमेन साम्राज्य से मिस्र हाथों से निकल गया। इस युद्ध के बाद, ऑटोमेन साम्राज्य बहुत ज्यादा कमजोर हो गया था और अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था।
बीर तावील विवाद ब्रिटिश उपनिवेशवाद का परिणाम है। क्योंकि ब्रिटेन ने जिन देशों की सीमा रेखा खींची हैं। उनका विवाद हमेशा रहा है। जैसे कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा, जिसको ब्रिटेन की सरकार ने खींची थीं। इसी तरह से ब्रिटेन ने सूडान और मिस्र के बीच 19 जनवरी 1899 को एक सीमा रेखा 22वीं समानांतर खींची थी। लेकिन जब 22वीं समानांतर सीमा रेखा पर विवाद खड़ा हुआ। तब ब्रिटेन ने 1902 में विभिन्न खानाबदोश लोगों के प्रशासन की सुविधा के लिए पूर्व में एक ‘प्रशासनिक सीमा’ रेखा बनाई, जिससे बीर तावील वाला क्षेत्र मिस्र के हिस्से में गया और हलायब त्रिकोण वाला क्षेत्र एंग्लो-मिस्र सूडान के लिए गया था।
लेकिन जब सूडान 1956 में ब्रिटेन से आज़ाद हुआ, तो सूडान ने ब्रिटिश शासन द्वारा तय 1902 की प्रशासनिक सीमा को स्वीकार किया। जबकि मिस्र ने 1899 में ब्रिटिश शासन द्वारा तय 22°अक्षांश क्षेत्रीय सीमा को दोनों देशों की सीमा रेखा माना।
सूडान और मिस्र के बीच सीमा विवाद क्यों?
दरसल सूडान और मिस्र के बीच सीमा विवाद तेल गैस के कारण है। क्यों कि बीर तावील एक रेगिस्तानी और बंजर भूमि है। जबकि हलीब लाल सागर से लगता हुआ है और पेट्रोलियम पदार्थों से सम्पन्न है। जिस कारण से कोई भी देश बीर तावील को स्वीकार नहीं कर रहा है।
क्योंकि अगर सूडान सन 1899 की तय सीमा रेखा को स्वीकार कर लेता है तो उसे हलीब क्षेत्र से हाथ धोना पड़ सकता है और अगर मिस्र 1902 की प्रशासनिक सीमा को स्वीकार कर ले। तो उसे हलीब से हाथ धोना पड़ सकता है और बीर ताविल को स्वीकार करना पड़ेगा। दोनों देशों में से कोई भी देश हलीब क्षेत्र को नहीं छोड़ना चाहते हैं।
सूडान और मिस्र का एक समझौता
सूडान और मिस्र ने समझदारी दिखाते हुए एक समझौता किया है। जिसके अनुसार, दोनों देश हलीब क्षेत्र से तेल और गैस मिलकर निकलेंगे। जिससे प्राप्त धन को आपस में बांट लेंगे। मतलब यहां दोनों देशों ने शांति पूर्वक समझदारी भरा निर्णय लिया।
बीर तावील के निवासी
बीर तावील रेगिस्तानी क्षेत्र में अब्बदा जनजाति निवास करती है और उसी का इस जगह पर पूर्ण नियंत्रण है। इसी के साथ यहां बहुत सारे खनिक और कुछ दारफुर भी रहते हैं।
दुनिया में विख्यात भूमि बीर तावील पर एक कवि ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। लेखक एलिस्टेयर बोनेट ने 2014 में बीर तावील को धरती पर एक मात्र स्थान बताया है, जो सभी के रहने योग्य है। लेकिन एक मान्यता प्राप्त सरकार द्वारा उस पर दावा नहीं किया गया है। जिससे बीर तावील धरती के सभी लोगों का है।
बीर तावील से निकटम हवाई अड्डा
अगर किसी को यहां पहुंचना हो, तो उसे सबसे नजदीकि शहर या यातायात व्यवस्था देखनी होगी। इस भूमि से निकटम हवाई अड्डा अबू सिंबल, मिस्र में उपस्थित है, बीर तावील और हवाई अड्डे की बीच की दूरी 164 किलोमीटर है। हवाई अड्डे से आप रोड़ के रास्ते एक ट्रक या पिकअप वैन द्वारा प्रवेश कर सकतें हों।
बीर तावील विषेश में सूडान और मिस्र
सूडान
सूडान एक पूर्वोत्तर अफ्रीकी देश है,जिसका अधिकारिक नाम सूडान गणराज्य है। इसकी सीमाएं अफ्रीकी गणराज्य, चाड, मिस्र, इरिट्रिया, इथियोपिया, लीबिया, दक्षिण सूडान और लाल सागर तक फैली हुई हैं। सूडान की राजधानी खार्तूम और मुद्रा सूडानी पाउंड है। यहां की कुल जनसंख्या 44.91 मिलियन है और इसका क्षेत्रफल 1,886,068 वर्ग किलोमीटर है। सबसे बड़ी विशेषता है कि यह क्षेत्रफल के हिसाब से अफ्रीका का तीसरा बड़ा और अरब लीग में क्षेत्रफल के हिसाब से भी तीसरा बड़ा देश है। सूडान का 9 जुलाई 2011 में बंटवारा हो गया, जिससे दुनिया में एक नया देश दक्षिणी सूडान बना। अन्यथा सूडान अफ्रिका और अरब लीग में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा देश होता। सूडान को ब्रिटेन से आजादी स्वतंत्रता 1 जनवरी 1956 को मिली थी। यहां का सबसे बड़ा शहर ओमडुरमैन है और भाषाएं अंग्रेजी, अरबी हैं। सूडान की जीडीपी 177.678 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
मिस्र
मिस्र अफ्रीका के पूर्वोत्तर में स्थित है, जो पूर्वोत्तर अफ्रीका को मध्य पूर्व से जोड़ रहा है। इसकी राजधानी काहिरा और मुद्रा मिस्री पाउण्ड (Egyptian pound) है। मिस्र का क्षेत्रफल 1,010,408 वर्ग किलोमीटर (390,121 वर्ग मील) है। इस देश के कुल आबादी लगभग 10 करोड़ है और प्रति व्यक्ति घनत्व 100 प्रति वर्ग किलोमीटर है। मिस्र को इंग्लैंड से स्वतंत्रता 28 फरवरी 1922 को मिली थी और गणतंत्र 18 जून 1953 हुआ था। इजिप्ट की कुल जीडीपी 2020 में $362 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर थी, जिसका दुनिया में 34वें स्थान पर आती है। मिस्र की प्रति व्यक्ति आय 3,561 अमेरिकी डॉलर है और मानव विकास सूचकांक 0.707 (वर्ष 2019) है, जो दुनिया में 116वे नंबर पर है। मिस्र का राष्ट्रगान ” बिलाडी, बिलाडी, बिलाडी ” और डॉयल नंबर +20 है।
मिस्र की महत्वपूर्ण जगहें
मिस्र एक एक अंतरमहाद्वीपीय देश है, जहां लाल सागर और नील नदी पाई जाती है। मिस्र की महान धरोहरें गीज़ा के पिरामिंड, गिजा नेक्रोपोलिस, महान स्फिंक्स जैसे प्रतिष्ठित स्मारक , साथ ही मेम्फिस , थेब्स , कर्ण, किंग्स घाटी के खंडहर और इजिप्शियन राजा की कब्र हैं। पहले मिस्र में ईसाई धर्म के लोग रहा करते थे लेकिन बड़े पैमाने पर इस्लामीकरण के कारण यहां अब 93% मुस्लिम जनसंख्या रहती है। इसके साथ ही मिस्र के पिरामिंडो पर वैज्ञानिक खोज रहें हैं।