2 सितंबर 2022 को भारत इतिहास रचने जा रहा है, भारत आज अपना स्वदेशी निर्मित आईएनएस विक्रांत, भारतीय नौसेना का पहला स्वदेशी विमान वाहक -1 (आईएसी -1) की कमीशनिंग करने जा रहा है। इस विमान वाहक पोत का वजन 43,000 टन है और यह 2023 के अंत तक पूरी तरह से चालू हो जाएगा।

आईएनएस विक्रांत एक विशाल तैरता हुआ एयर डेक है, जिस पर लगभग 30 लड़ाकू विमान तैनात हो सकतें हैं। विमान वाहक का उद्देश्य भारत के दो आसपास के समुद्रों में भारतीय नौसेना के समुद्री प्रभुत्व को स्थापित करना है, जिसमें पहला रणनीतिक हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में और चीन की आधिपत्य वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) को कंट्रोल करना है।
एक आधिकारिक बयान में भारतीय नौसेना ने कहा है कि फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट के डेक इंटीग्रेशन ट्रायल और इसके एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स (एएफसी) के परिक्षण को ही अंजाम दिया जाएगा। 2 सितंबर को विक्रांत की भारतीय नौसेना में औपचारिक कमीशनिंग होगी और उड़ान सुरक्षा सहित जहाज की परिचालन कमान और नियंत्रण नौसेना के पास होगा।
युद्धपोत डिजाइन
युद्धपोत की डिजाइन युद्धपोत ब्यूरो द्वारा विकसित की गई है, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली के कैलाश कॉलोनी में एक गैर-वर्णित बंगले में है और इसका निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSAL) द्वारा किया गया। यह विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा शॉर्ट टेक-ऑफ बैरियर से युक्त है। आईएसी -1 की परिचालन सीमा लगभग 7,500 एनएम या 13,900 किमी है।
निर्माण में समय और लागत
विमान वाहक पोत विक्रांत का निर्माण लगभग सात वर्षों की देरी से चल रहा है, जिससे इसके निर्माण की कीमत में छह गुना की वृद्धि हुई है। जिससे इसका कुल निर्माण खर्च 20,000 करोड़ रुपये है। इसको भारत की 50 स्थानीय कंपनियों ने मिलकर बनाया है।
वर्तमान में, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों (SSK), सर्वेक्षण जहाजों के साथ-साथ परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों और परमाणु-शक्ति युक्त पनडुब्बियों सहित लगभग 40 मिश्रित भारतीय नौसेना के युद्धपोतों का निर्माण का कार्य कर रहे हैं।
आईएनएस विक्रांत स्वदेशी क्यों कहा जा सकता
विक्रांत में 76 फीसदी सामग्री और उपकरण भारत निर्मित हैं, जिसमें 23,000 टन युद्धपोत ग्रेड स्टील, 2,500 किमी बिजली के केबल और 150 किमी विशेष पाइप स्वदेशी कंपनियों से लिए गए हैं।
दूसरे स्वदेशी उपकरण कठोर पतवार वाली नावें, एयर कंडीशनिंग और रेफ्रिजरेशन प्लांट, एंकर कैपस्टैन, गैली और संचार उपकरण और प्लेटफॉर्म कॉम्बैट नेटवर्क सिस्टम, अन्य मिश्रित किट शामिल हैं,
आईएनएस विक्रांत में 14 डेक शामिल हैं, जिसमें 1,600 चालक दल आ सकतें हैं। इसमें एक विस्तृत चिकित्सा परिसर भी है, जिसमें मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और डेंटल सेंटर, महिला अधिकारियों और चालक दल के लिए विशेष केबिन और विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसने के लिए रसोई शामिल हैं।
विक्रांत की ऊर्जा स्रोत
इसके निर्माण में मॉड्यूलर एकीकृत पतवार संगठन और पेंटिंग (IHOP) तकनीक का इस्तेमाल किया। इसमें कुल 874 कम्पार्टमेंट ब्लॉकों का निर्माण शामिल है, जिसका औसत वजन 250 टन है। इसमें चार आयातित जनरल इलेक्ट्रिक एलएम -2500 गैस टर्बाइन शामिल हैं, जो लगभग 80 मेगावाट बिजली (120,000 एचपी) उत्पन्न करते हैं, जो कोच्चि शहर की ऊर्जा खपत के बराबर है। इसकी गति 28 केटी या 52 किमी / घंटा है।
लेकिन विक्रांत का एएफसी, जो इसका आक्रामक क्षमता (offensive capability) को संचालित करने का केंद्र है और रूस के नेवस्को डिजाइन ब्यूरो (एनडीबी) द्वारा आपूर्ति किया गया। आईएनएस विक्रमादित्य (पूर्व एडमिरल गोर्शकोव) के समान ही है।
एएफसी को अगले कई महीनों में, यह एएफसी पूरी तरह से रूसी इंजीनियरों और तकनीशियनों की सहायता से स्थापित किया जाएगा,
विक्रान्त पर लगभग 12-15 मिग 29K / KUB लड़ाकू विमानों का अनुमानित बेड़ा तैनात होगा
इसके अलावा भारतीय नौसेना 26 मल्टी रोल वाहक जनित लड़ाकू विमानों का आयात करने को तैयार है। जिसमें आठ जुड़वां सीटों वाले प्रशिक्षकों सहित फ्रांस के राफेल एम (नेवल) लड़ाकू और अमेरिका से बोइंग के एफ/ए-18ई/एफ ‘सुपर हॉर्नेट’ का वर्तमान में खरीद के लिए तैयारी चल रही है। 26 नौसैनिक लड़ाकू विमानों को आयात करने पर 5-7 अरब डॉलर का खर्च आएगा,
इस स्वदेशी विमान वाहक पोत की 2 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कमीशनिग की जायेगी। इसके अलावा पीएम मोदी नौसेना के प्रतीक को बदलेंगे।
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