INS विक्रांत से 65% बड़ा युद्धपोत बना रहा भारत, 65,000 टन वजन होगा

भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी ने आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित किया है। जो आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना में शामिल हो चुका है। इस समय भारत के पास कुल दो युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत हैं। लेकिन भारत ने अपने तीसरे युद्धपोत आईएनएस विशाल को बनाने की तैयारी शुरू कर दी।

आईएनएस विशाल क्या है?

आईएनएस विशाल भारतीय नौसेना का तीसरा युद्धपोत होगा। विशाल शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया, जिसका अर्थ भव्य होता है। INS विशाल आईएनएस विक्रांत के बाद भारत में निर्मित दूसरा युद्धपोत होगा। भारत के पास अभी आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य नाम के दो युद्धपोत हैं। आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत का 45,400 टन भारित विस्थापन है। आईएनएस विशाल को भी “कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड” में ही निर्मित किया जायेगा।

आईएनएस विशाल पर कितना वजन होगा?

भारत का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विशाल 65 हज़ार टन वजनी होगा। अर्थात् यह भारत के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर से 45% बड़ा होगा। आईएनएस विशाल पर कुल 55 फाइटर प्लेन तैनात हो सकतें हैं। जबकि आईएनएस विक्रमादित्य पर 35 और आईएनएस विक्रांत पर 30 फाइटर प्लेन तैनात हो सकेंगे। आईएनएस विक्रमादित्य रूस के प्लेटफॉर्म पर निर्मित है।

आईएनएस विशाल की विशेषताएं क्या हैं?

1.आईएनएस विशाल की डिज़ाइन “वारशिप डिज़ाइन ब्यूरो” द्वारा बनाई जा सकती है

2. आईएनएस विशाल का भी निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा ही किया जा सकता है।

3. आईएनएस विशाल की संभावित लंबाई 284 मीटर और ऊंचाई 60 मीटर होंगी।

4. आईएनएस विशाल का संभावित वजन 65,000 टन हो सकता है।

5. आईएनएस विशाल की अधिकतम रफ़्तार 55 किमी प्रति घंटा हो सकती है।

6. आईएनएस विशाल की अधिकतम रेंज 14,000 किलोमीटर तक है।

7. आईएनएस विशाल पर कुल 55 फाइटर प्लेन तैनात हो सकतें हैं।

8. सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी लागत करीब 55 हज़ार करोड़ रुपए आयेगी।

9. इसके अलावा इस युद्धपोत पर 2300 क्रू मेंबर तैनात हो सकतें हैं।

10. एक संभावना के अनुसार, आईएनएस विशाल भारतीय नौसेना में 2030 तक शामिल हो सकता है।

आईएनएस विशाल प्रोजेक्ट की शुरुआत कब हुई।

1.2012 के नौसेना प्रमुख निर्मल वर्मा कहा था कि देश में दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने के लिए स्टडी की जा रही है।

2.यही कारण है कि 2012 में नेवी के “नेवल डिज़ाइन ब्यूरो” ने युद्धपोत की डिजाइन का काम शुरू किया।

3. 2013 में नेवी ने आईएनएस विशाल

पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम यानी EMALS लगाने के लिए काम शुरू किया। जिसके के लिए अमेरिकन सरकार से बातचीत की गई। क्योंकि यह तकनीक अमेरिका के पास मौजूद है। अक्टूबर 2017 में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को EMALS तकनीक देने की मंजूरी दी।

भारत को तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत क्यों?

भारत को अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए युद्धपोत की अधिक आवश्यकता है, ख़ासकर हिंद महासागर के विशाल क्षेत्र की निगरानी की जरूरत है। क्योंकि यहां चीन आए दिन अपनी पनडुब्बियां गुप्त रूप से भेजता रहता है।

अभी चीन के पास लियोनिंग और फुजियान नाम के दो युद्धपोत हैं। वह अपने तीसरे युद्धपोत पर भी काम कर रहा है , जिस पर CATOBER तकनीक इंस्टॉल है।