भारत रक्षा क्षेत्र में धीरे धीरे आत्मनिर्भर बन रहा है, जिसकी झलक 7 दिसंबर 2021 को दिख गई है। भारत ने एक सतह से सतह में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।

VL-SRSAM मिसाइल
भारत के रक्षा संस्थान DRDO ने बताया है कि VL-SRSAM मिसाइल का ओडिशा के तट से वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM) का सफल परीक्षण किया। यह वायु रक्षा प्रणाली लगभग 15 किलोमीटर दूर तक मार कर सकने में सक्षम है।
इस मिसाइल को भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए तैयार किया गया है, क्योंकि इस समय भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य में केवल इजरायल की बनी बराक 1 और बराक 8 मिसाइल लगीं हुईं हैं।
VL-SRSAM मिसाइल का कार्य / raksha kshetra
जबकि बराक मिसाइल बहुत पुरानी हो गई है लेकिन तब भी बराक 8 मिसाइल बहुत ही खतरनाक है। VL-SRSAM मिसाइल को बराक 8 मिसाइल के साथ एयरक्राफ्ट कैरियर में आईएनएस विक्रमादित्य लगाया जायेगा।
भारत को अपने एयरक्राफ्ट कैरियर की सुरक्षा की चिंता थी क्योंकि भारत ने 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान को हराया और बांग्लादेश के नाम से एक नया देश बनाया था। लेकिन इस बड़ी जंग में एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य ने अपना अहम रोल निभाया था। इसलिए भारत सरकार और नेवी अपने एयरक्राफ्ट कैरियर की सुरक्षा के लिए आधुनिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल की जरूरत लगीं।
VL-SRSAM मिसाइल के विशेषता / VL-SRSAM Barak 8 missile
इस मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसको लॉन्च करने के बाद भी नियंत्रित किया जा सकता है। यदि इसका लक्ष्य बड़ी तेजी से गति कर रहा है तो यह VL-SRSAM मिसाइल प्रक्षेपवक्र भी बदल सकती है।

इसकी दूसरी बड़ी विशेषता है कि नेवी इसकी एयरक्राफ्ट कैरियर से वर्टिकली लॉन्च कर सकती है। जिसका फायदा यह होगा कि भारतीय नेवी विक्रमादित्य पर से ढेर सारी मिसाइल्स एक साथ लांच कर सकती है और अपने एयरक्राफ्ट कैरियर की सुरक्षा सुनिश्चित कर पायेगी।
इसकी मारक क्षमता 40 किलोमीटर से 50 किलोमीटर तक है, जबकि हमारे विमान वाहक पोत पर लगी बराक 1 की मारक क्षमता से इससे कहीं कम है। बराक 1 की मारक क्षमता 0.15 से 12 किलोमीटर ( 0.3 से 7.5 मील)तक ही है।
बराक 8 मिसाइल
भारतीय नेवी के विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य की सुरक्षा के लिए बराक 8 मिसाइल लगीं हुईं हैं। यह भारत और इजराइल की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिससे विमान, हेलीकॉप्टर, जहाज रोधी मिसाइलों और यूएवीएस को मार गिराया जा सकता है। इसके अलावा यह मिसाइल बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और लड़ाकू विमानों को हवा में ही मार कर नष्ट कर सकती है। इस मिसाइल को विशेष रूप से हवाई रक्षा प्रणाली के लिए ही डिजाइन किया गया है, इस मिसाइल के दो प्रकार के संस्करण मौजूद हैं। जिनको समुद्र और भूमि से दागा जा सकता है।

सोवियत संघ ने विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को खरीदा था। इसके बाद भारत नेइसे 2004 में ख़रीद लिया। जिसकी भारत में समुद्री परिक्षण जुलाई 2013 और सितंबर 2013 में विमानन परिक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न किए थे।
यह विमान वाहक पोत मूल रूप से बाकू रूस में निर्मित है, जिसको सोवियत नौसेना ने 1996 में सेवा मुक्त कर दिया था। जिसको भारत द्वारा 20 जनवरी 2004 को एक अंतिम बातचीत के बाद खरीद लिया गया।